
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। मऊआइमा कस्बा के बहराना स्थित गेस्ट हाउस में अखिल भारतीय मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें देश के नामचीन कवि व शायरों ने अपने कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुशायरा व कवि सम्मेलन का आगाज़ कारी सुमामा ने नातिया कलाम से किया। मुशायरे में हास्य कवि अखिलेश द्विवेदी ने पढा कि ‘जो हैं पढ़े लिखे वो सब संतरी बने, अपराधी माफिया हैं जो वो मंत्री बने, और खूब दाद लूटी।

इंकलाबी शायर अख्तर इलाहाबादी ने पढ़ा कि ‘वतन सोने की चिड़िया है…। कटाकर सर वतन की आबरू हमने बचाई थी, हमारे खून के कतरे से हिंदुस्तान जिंदा है।
मालेगांव के शायर सुहेल आज़ाद ने पढ़ा कि अगर दिल मे ईमान की दौलत बची है, तो महशर में अपनी ज़मानत बची है।
शायर काविश रुदौली ने पढ़ा कि नुक्ते की औकात नही छब्बीस आयात हटवाएगा, घर क्या है तू पूरी दुनिया मे दुतकारा जाएगा।
शायरा रुखसार बलरामपुरी ने पढ़ा कि तेरे नाम दिल कर दूं ये जान कर दूं,अगर तू कहे तो ये ऐलान कर दूं।
राष्ट्रीय एकता को लेकर शायर अली बाराबंकवी ने पढ़ा कि देश की ऊंची शान होती है, एकता जब बयान होती है। घंटियां मंदिरों में बजती है, मस्जिदों में अज़ान होती है।
आलमी शोहरत रखने वाली शायरा चांदनी शबनम ने पढ़ा कि सबके रुख पे यहां ताजगी आ गयी, बज़्म में आप आये खुशी आ गयी।
हास्य कवि बिहारी लाल अंबर के इस कलाम पर श्रोताओं ने जमकर कहकहे लगाए कि, हम ज़िंदगी के हाथों मिस यूज हो गए, पहले बने सुर्खियां फिर न्यूज़ हो गए।
शहज़ादा कलीम प्रतापगढ़ी ने पढ़ा कि हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सबका सपना कहां गया, ढूंढ रही है नम आंखे वो अपना भारत कहां गया।
मालेगांव के मशहूर व मारूफ शायर वाहिद अंसारी ने पढ़ा कि पहले तालीम से तुम मोड़ दिए जाओगे, फिर किसी जुर्म से तुम जोड़ दिए जाओगे।हाथ से हाथ की जंजीर बना कर निकलो, वर्ना धागे की तरह तुम तोड़ दिए जाओगे।
मुशायरे का समापन वरिष्ठ शायर डा. माजिद देवबन्दी के इस अशआर से कि अल्लाह मेरे रिज्क की बरकत न चली जाए, दो दिन से घर मे कोई मेहमान नही है।

मुशायरे में वंदना वर्मा, डा. इफ्तेखार सागर, जावेद जिया, मखदुम फुलपुरी, राज आईमी ने भी अपने कलाम पढ़े। मुशायरे का संचालन जमील साहिर मालेगांव एवं अध्यक्षता नदीम इंतेखाब ने किया।
संयोजक सईद अहमद अंसारी व ज़ियाउद्दीन रहे। मुख्य अतिथि के रूप में ब्लॉक प्रमुख प्रदीप सरोज व वीरू चौधरी तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रोफेसर आदिल अंसारी और प्रोफेसर सलीम अनवर रहे।