नव निर्मित शिव मंदिर पर पहुँचकर की भगवान शिव की पूजा अर्चना छात्र सेवक सूरज उपाध्याय

रानीगंज/प्रतापगढ़। रानीगंज तहसील के फतनपुर बाजार में स्थित प्राचीन शिव-मंदिर निर्माण व पूजन के कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व कॉलेज इकाई अध्यक्ष व पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व छात्र सेवक सूरज उपाध्याय ने अपने निजी समर्थकों के साथ पहुँचकर सभी ग्रामवासियों व क्षेत्र के गणमान्य लोगों से मुलाकात करके आशीर्वाद प्राप्त करके भगवान शिवशंकर के सामने मत्था टेका और पूजन किया।
छात्र सेवक सूरज उपाध्याय ने भगवान शंकर के बारे में वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।

शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात,शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ आदि। भगवान शिव को रूद्र नाम से जाना जाता है रुद्र का अर्थ है रुत दूर करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला अतः भगवान शिव का स्वरूप कल्याण कारक है रुद्राष्टाध्याई के पांचवी अध्याय में भगवान शिव के अनेक रूप वर्णित है रूद्र देवता को स्थावर जंगम सर्व पदार्थ रूप सर्व जाति मनुष्य देव पशु वनस्पति रूप मानकर के सराव अंतर्यामी भाव एवं सर्वोत्तम भाव सिद्ध किया गया है इस भाव से ज्ञात होकर साधक अद्वैत निष्ठ बनता है। संदर्भ रुद्राष्टाध्याई पृष्ठ संख्या 10 गीता प्रेस गोरखपुर। रामायण में भगवान राम के कथन अनुसार शिव और राम में अंतर जानने वाला कभी भी भगवान शिव का या भगवान राम का प्रिय नहीं हो सकता। शुक्ल यजुर्वेद संहिता के अंतर्गत रुद्र अष्टाध्याई के अनुसार सूर्य इंद्र विराट पुरुष हरे वृक्ष अन्न जल वायु एवं मनुष्य के मनुष्य के कल्याण के सभी हेतु भगवान शिव के ही स्वरूप है भगवान सूर्य के रूप में वह शिव भगवान मनुष्य के कर्मों को भली-भांति निरीक्षण कर उन्हें वैसा ही फल देते हैं आशय यह है कि संपूर्ण सृष्टि शिवमय है मनुष्य अपने अपने कर्मानुसार फल पाते हैं। अर्थात स्वस्थ बुद्धि वालों को वृष्टि जल अन्य आदि भगवान शिव प्रदान करते हैं और दुर्बुद्धि वालों को व्याधि दुख एवं मृत्यु आदि का विधान भी शिवजी करते हैं।
इस मौके पर मार्गदर्शक श्री कृष्णकांत तिवारी, श्री गोलू तिवारी, श्री अरुण सिंह श्री प्रभाकर महराज,श्री रंगू तिवारी व समस्त युवा व ग्रामवासी उपस्थित रहे।

Report

Share
Published by
Report

Recent Posts

डॉ. संतोष कुमार शुक्ल को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, उत्तर प्रदेश में मिला दोहरा संगठनात्मक दायित्व

लखनऊ के सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, अलीगंज में आयोजित राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, उत्तर प्रदेश…

2 days ago

पेड़ पर बैठा बंदर करने लगा नोटों की बारिश, द ेखकर हैरान रह गए लोग – देखें वायरल वीडियो

गुना (मध्य प्रदेश): सोशल मीडिया पर एक हैरान कर देने वाला वीडियो इन दिनों जमकर…

4 days ago

प्रतापगढ़: अर्पित सर्वेश को मालती इंटर कॉलेज में मिला सम्मान, युवाओं के लिए बने प्रेरणा

रिपोर्ट: हामिद इब्राहिमप्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश – जनपद के लिए यह दिन गर्व का रहा जब…

4 days ago

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2025-26: राज्य निर्वाचन आयोग ने जारी की पूरी टाइमलाइन, 15 जनवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी

  उत्तर प्रदेश | ब्रेकिंग न्यूज रिपोर्ट: हामिद इब्राहिम उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025-26…

4 days ago

विद्यालय बंदी के विरोध में शिक्षकों ने रा ज्यसभा सांसद को सौंपा ज्ञापन, नीति पर जताया क ड़ा ऐतराज

रिपोर्ट: हामिद इब्राहिम लालगंज (प्रतापगढ़): प्राथमिक विद्यालयों के जबरन पेयरिंग और बंदी की नीति के…

2 weeks ago

प्रतापगढ़: किशोरी की संदिग्ध मौत, तालाब किनारे मिला दफनाया गया शव, परिजनों पर हत्या का आरोप

प्रतापगढ़ | ब्रेकिंग न्यूजरिपोर्ट: हामिद इब्राहिमप्रतापगढ़ जनपद के आसपुर देवसरा थाना क्षेत्र स्थित पीथापुर गांव…

2 weeks ago

This website uses cookies.

Read More