हैदराबाद के निज़ाम थे दुनिया के सबसे अमीर और कंजूस शख़्स जाने पूरा मामला…

आसफ़ जाह मुज़फ़्फ़ुरुल मुल्क सर मीर उसमान अली ख़ाँ ने 1911 में हैदराबाद रियासत की गद्दी सँभाली थी

टाइम पत्रिका ने अपने 22 फ़रवरी, 1937 के अंक में उन्हें अपने मुखपृष्ठ पर छापते हुए शीर्षक दिया था दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति


हैदराबाद रियासत का कुल क्षेत्र 80 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक था इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के कुल इलाक़े से भी ज़्यादा निज़ाम अमीर होने के साथ-साथ बहुत बड़े कंजूस भी थे

निज़ाम के बहुत करीबी रहे वॉल्टर मॉन्कटन की जीवनी में फ़्रैडरिक बरकेनहेड लिखते हैं’निज़ाम का क़द छोटा था और वो झुक कर भी चलते थे उनके कंधे भी छोटे थे और वो चलने के लिए भूरे रंग की मुड़ी हुई छड़ी का सहारा लिया करते थे उनकी आँखें अजनबियों को आक्रामक ढ़ंग से देखती थीं वो पैतीस साल पुरानी फ़ैज़ कैप पहना करते थे, जिसमें रूसी की एक पूरी परत जमा होती थी

उनकी शेरवानी मटमैले रंग की होती थी, जिसके गर्दन के पास के बटन खुले रहते थे शेरवानी के नीचे वो ढ़ीला ऑफ़ व्हाइट पाजामा पहनते थे उनके पैरों में पीले मोज़े होते थे, जिनके किनारे ढ़ीले हो चुके होते थे वो अक्सर अपना पाजामा उठा लेते थे, जिससे उनकी टाँगें दिखाई देती थीं ख़राब व्यक्तित्व होने के वावजूद वो लोगों पर हावी रहते थे कभी-कभी वो ग़ुस्से या उत्साह में इतनी ज़ोर से चिल्लाते थे कि उनकी आवाज़ पचास गज़ दूर तक सुनाई देती थी

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