मुल्क से मोहब्बत करना और मुल्क के आबरू को सीने से लगाये रखना अगर किसी भी कौम को सीखना है तो हिंदुस्तानी मुसलमानों से सीखना चाहिए तमाम यातनाओं के बाद भी इस मुल्क से मोहब्बत कम ही नहीं होती!!
क़दम क़दम पर ऐसे लोग मिलेंगे जो इस कौम को गद्दार, देशद्रोही, आतंकवादी, पाकिस्तानी कहते मिल जाएंगे कहने में तो ये लफ़्ज़ आसान से हैं लेकिन जिनको बोला जाता है उनके दिल का कभी किसी ने हाल जानना ही नहीं चाहा किस तकलीफ से एक पूरी कौम गुजरती है उस तकलीफ को किसी नें महसूस करने की कोशिश ही नहीं कि!!
ये ऐसे शब्द हैं जैसे कोई मां कह दे निकल जाओ मेरी जिंदगी से मैं तुम्हारी माँ नहीं हूं , जैसे एक भाई दूसरे भाई का क़त्ल कर दे लेकिन किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता ना प्रधानमंत्री को ना कोर्ट को ना बुद्धजीवी वर्ग को की देश का मुसलमान किस तकलीफ से गुज़र रहा है !!
कोई कैसे कह सकता है कि मुसलमान गद्दार होते हैं इस मुल्क से मोहब्बत का क्या पैमाना होगा ? इतिहास पढ़ने और जानने की जुर्रत किसी को नहीं बस झूठ पर झूठ मीडिया के ज़रिए जो परोसा जा रहा है उसी को सच मान लिया गया!
इसी कौम नें इस मुल्क की आबरू रखी है याद करिये इस देश में जो भी इतराने लायक है ताजमहल, लालकिला, मकबरे, कुतुबमीनार सब इसी कौम का जलवा है आज़ादी की लड़ाई हैदर अली, टीपू सुल्तान, रजिया सुल्तान, बहादुर शाह ज़फ़र से जो सुरु हुई वो मौलाना हसरत मोहानी, असफाकउल्लाह खान , खान अब्दुल गफ़्फ़ार खान जैसे हज़ारों लाखों क्रांतिकारीयों तक पहुँची!
आज़ादी के बाद भी इस देश को इस कौम नें कर्नल इसरार दिया,वीर अब्दुल हमीद दिया कलाम साहब जैसा साइंटिस्ट दिया लेकिन आज इस कौम को आखरी लाइन में खड़ा कर दिया गया और बोला जा रहा है देशभक्ति का सबूत दो!
अब तो नागरिकता सावित करने का भी सबूत मंगा जा रहा है इस देश के ज़र्रे जर्रे में इस कौम का लहू सना हुआ है आज़ादी के दीवानों की कब्रों से ज़मीन मुअत्तर है इस देश के हर शय में हमारा खून पसीना शामिल है फिर भी आज अपनी पहचान को तरसती ये कौम ! आख़िर किउ ? कब तक इसे सावित करना होगा कि ये कौम हिंदुस्तानी है पाकिस्तान, ईरान, तेहरान से इसका क्या लेना देना!
कोई भी देश ..देश के नागरिकों से बनता है और सभी नागरिकों को संविधान नें बराबरी का हक़ दिया है बस अब इंतेज़ार है कोर्ट कब इन लफंगों पर लगाम लगाती है!!
जावेद खान