वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के पूर्व छात्र डॉ अमित कुमार ने ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (ASD) और ध्यान घाटे अति सक्रियता विकार (ADHD) के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। इस योगदान के लिए उन्हें नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय दिव्य प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया।
डॉ अमित कुमार ने ऑटिज्म और ADHD से प्रभावित बच्चों के जीवन को बदलने का कार्य किया है। उन्होंने न केवल भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों में सैकड़ों बच्चों का सफल इलाज किया, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में भी अहम भूमिका निभाई। समाज जिन बच्चों को स्वीकार नहीं करता, उन्हें आत्मनिर्भर जीवन जीने की प्रेरणा और उम्मीद डॉ अमित कुमार ने दी।
सम्मान प्राप्त करने के बाद डॉ अमित कुमार ने कहा, “विकलांग लोगों को अंतर-विषयक पहचान के साथ प्रस्तुत करना जरूरी है, ताकि लोग विकलांगता से आगे बढ़कर उनके अंदर की क्षमता को देख सकें। हम सिर्फ अपनी कमियों से परिभाषित नहीं होते, हम जटिल और जीवंत इंसान हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि यदि समय रहते इलाज शुरू किया जाए, तो व्यावसायिक चिकित्सा (Occupational Therapy) से ऑटिज्म और ADHD का प्रभावी इलाज संभव है। उनके अनुसार, सही मार्गदर्शन और चिकित्सकीय सहयोग से ऐसे बच्चे आत्मनिर्भर जीवन जी सकते हैं।
डॉ अमित कुमार मूलतः प्रयागराज के बहारिया ब्लॉक के ग्राम शिवचरनपुर नूरपुर निवासी हैं। सम्मान का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता श्री यशवंत सिंह और श्रीमती समुद्रा, बहन अनामिका सिंह, श्रीमती रूमा चतुर्वेदी, डॉ अश्वनी चौहान, डॉ साइमा, प्रोफेसर डॉ जय सिंह यादव (मनोरोग विभाग प्रमुख), श्री सत्यम तिवारी, डॉ आकांक्षा गुप्ता, डॉ कृष्णेंदु मंडल और पूरे परिवार को दिया।
उन्होंने श्रीमती रूमा चतुर्वेदी और डॉ अश्वनी चौहान के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया।
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