Ajay Kumar Mishra Teni Resignation: केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) क्या अपने मंत्री पद से इस्तीफा देंगे? ये लाख टके का सवाल बना हुआ है, लेकिन न तो अभी तक उन्होंने इस्तीफा दिया और न ही इस्तीफा मांगा गया है. पांच दिन से दिल्ली में सस्पेंस बना हुआ है. टेनी गृह राज्यमंत्री होते हुए भी दिल्ली में छिप-छिप कर रहने को मजबूर हैं. डर यही है कि निकले तो लोग ये सवाल न पूछ दें कि इस्तीफा कब देंगे? संसद में जाने में राजनीतिक संग्राम न हो जाए, लेकिन सवाल ये है कि ये आंख-मिचौली कब तक चलेगी. कब तक बचेंगे और कब तक बचने दिया जाएगा. खासकर उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव है और ये चुनाव बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि 2024 लोकसभा चुनाव में केन्द्र में किसकी सरकार बनेगी? बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. यही वजह है कि मोदी सरकार ने किसान बिल को वापस ले लिया और किसानों की शर्तों पर आखिरकार किसान आंदोलन खत्म हुआ. ऐसे में सवाल उठता है, क्या टेनी मोदी सरकार में बने रहेंगे या छुट्टी हो जाएगी? खासकर लखीमपुर खीरी में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने एक पत्रकार के साथ बदसलूकी की, अपशब्दों का इस्तेमाल किया, उसका कॉलर पकड़ लिया और फोन छीन लिया. इसके बाद उनके इस्तीफे की मांग जोर पकड़ने लगी है.
टेनी के इस्तीफे को लेकर विपक्ष अड़ियल रूप अख्तियार कर चुकी है. दरअसल लखीमपुर खीरी में किसानों की भीड़ पर गाड़ी चढ़ा दी गई, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई और इसी मामले में टेनी के बेटे आशीष मिश्रा जेल की हवा खा रहे हैं. यूपी पुलिस की एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह घटना सोची-समझी साजिश का नतीजा है. इसमें किसी तरह की लापरवाही वाली कोई बात नहीं है. एसआईटी ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले को हत्या की कोशिश के आरोपों में बदलने के लिए कोर्ट से इजाजत मांगी है. इसी के बाद टेनी के इस्तीफे की मांग चौतरफा होने लगी, जबकि इसके पहले टेनी ने दावा किया था कि बेटा घटनास्थल पर नहीं था अगर साबित हुआ तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा.
क्यों टेनी को इस्तीफा देना होगा?
लखीमपुर में किसानों को कुचलने के आरोप में 9 अक्टूबर को आशीष मिश्रा गिरफ्तार हुए थे और इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जाएगी. कानून के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होती है और यह अवधि अगले महीने 8 जनवरी के करीब पूरी होती है. अब एसआईटी की अर्जी संकेत दे रहा है, आशीष मिश्रा बच नहीं सकते हैं. ऐसे में अजय मिश्रा और बीजेपी के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है या टेनी खुद इस्तीफा देंगे या मोदी सरकार छुट्टी करेगी? लखीमपुर की घटना की वजह है एक तरफ किसान सरकार से नाराज है और अगर टेनी को बचाने की कोशिश हुई तो सरकार द्वारा किसान बिल की वापसी का कोई फायदा नहीं होगा. अगर टेनी की छुट्टी हो जाती है तो चुनाव आते आते किसान का गुस्सा पूरी तरह शांत हो जाएगा और लखीमपुर का मुद्दा गौण हो सकता है.
अब कहा जा रहा है कि टेनी के इस्तीफे से ब्राहमण वोट नाराज हो जाएंगे जैसे विकास दुबे के एनकाऊंटर को उछाला गया. उसी तरह टेनी के इस्तीफे को उछाला जा सकता है, लेकिन सरकार के पास विकल्प है कि टेनी की छुट्टी के बाद ऐसे ब्राहमण चेहरे को केन्द्र में मंत्री बनाया जा सकता है तो टेनी से ब्राहमण मे बड़ा कद रखता हो. बीजेपी के लिए ब्राह्मण वोट अहम है, लेकिन टेनी यूपी का इतना बड़ा ब्राहमण चेहरा नहीं है कि ब्राहमण वोट बिदक जाए. वैसे विकास दुबे कोई नेता नहीं था, बहुत बड़ा दबंग भी नहीं था, लेकिन पुलिस की हत्या में एनकाउंटर हुआ तो विकास दुबे के ब्राहमण चेहरे को उछाला गया और ये संदेश देने की कोशिश हुई कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के साथ भेदभाव हो रहा है, कहीं यही डर सता रहा हो.
टेनी का इस्तीफा कब और कैसे होगा?
टेनी के इस्तीफे को थोड़े वक्त के लिए टाला जा सकता है, क्योंकि मोदी दवाब में नहीं आते हैं. ये संदेश नहीं जाए कि विपक्ष और किसान के दवाब में टेनी का इस्तीफा लिया या दिया गया. मोदी के सात साल के शासनकाल में इतिहास यही रहा है कि नेता पर बड़ा सा बड़ा आरोग लग जाए तो मोदी झटके में मंत्रिमंडल से छुट्टी नहीं करते हैं. बस कैबिनेट के विस्तार और फेरबदल में खेल कर देते हैं. ऐसे भी मौके आए जिसमें मंत्रिमंडल से हटाया नहीं गया, बल्कि इक्के दुक्के मंत्रियों ने खुद मंत्रिमंडल छोड़ दिया. अगर झटके में बीजेपी टेनी को हटाती है तो ये संदेश जाएगा कि विपक्ष की दवाब की वजह से सरकार झुक गई है, लेकिन नहीं हटाने से भी अच्छा संदेश नहीं जा रहा है.
शायद बीजेपी लखीमपुर की घटना के चार्जशीट का इंतजार कर रही है, अगर चार्जशीट में आशीष मिश्रा को हत्या का आरोपी बनाया जाता है तो टेनी का मंत्रिमंडल में रहना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में मोदी सरकार टेनी को बर्खास्त नहीं करेगी, बल्कि टेनी का इस्तीफा लिया जाएगा. ये भी हो सकता है कि चार्जशीट दायर करने के पहले टेनी की छुट्टी हो सकती है. बीजेपी की रणनीति ये हो सकती है कि टेनी खुद इस्तीफा दें, ताकि उत्तर प्रदेश के चुनाव में गलत संदेश नहीं जाए कि उन्हें हटाया गया है? अब सारा दारोमदार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर है टेनी के साथ क्या सलूक करते हैं.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह, राजनीतिक और चुनाव विश्लेषक हैं
!-*नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.*-!
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