केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान आंदोलन में ‘देशद्रोहियों’ के पोस्टर पर आपत्ति जताई। मंत्री ने कहा कि किसानों को ऐसे लोगों से बचना चाहिए जो देश की बर्बादी के बारे में सोचते हैं।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री तोमर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में अखबार का हवाला देते हुए कहा, मैं किसान नेताओं से कहना चाहता हूं कि इस प्रकार के लोगों के हाथ में आपका आंदोलन पहुंच जाएगा तो इससे किसानों के हितों को नुकसान होगा। किसानों को सावाधानी बरतनी चाहिए। देश को तोड़ने वाले लोग किसान आंदोलन में दिखेंगे तो इससे किसान बदनाम होंगे।
किसान हमारे देश के अन्नदाता हैंं, किसानों ने देश को आत्मनिर्भर बनाया है। कोरोना के समय में भी किसानों ने मेहनत की। किसानों को देखना चाहिए कि उनके मंच का कोई गलत इस्तेमाल न करने पाए।’
साक्षात्कार में तोमर ने कहा, ‘किसी भी आंदोलन का नतीजा बिना बातचीत के नहीं निकलता है। बातचीत के बीच आंदोलन की बात कहना किसी प्रकार से उचित नहीं है। राजनीतिक दलों को किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर नहीं चलानी चाहिए। कांग्रेस ने खुद ये कानून बनाने की बात कही थी। क्या कांग्रेस पहले किसानों को गुमराह कर रही थी कि आज कर रही है?
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन काफी दिन से चल रहा है। सरकार किसान संगठनों से लगातार बातचीत कर रही है। किसानों से लगभग 6 दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार की कोशिश रही कि कानून के हर पहलू पर किसानों से बातचीत की जा सके। जिस मुद्दे पर किसानों को आपत्ति होगी सरकार उसका निराकरण करेगी। किसानों से बातचीत के दौरान कानून के प्रावधानों को लेकर किसान संगठनों की ओर से कोई कोशिश नहीं की गई।
तोमर ने कहा 3 दिसंबर को मैंने किसानों से कहा कि उन बिंदुओं पर बातचीत करनी चाहिए जहां आपको समस्या है। किसानों ने उस वक्त एडीएम से इंसाफ न मिलने, मंडियां कमजोर होने, पराली और बिजली का मुद्दा भी उठाया था। फिर बातचीत के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय हुई थी। बाद में किसानों ने सरकार के दिए प्रस्ताव पर विचार नहीं किया। किसानों की प्रावधान में रुचि नहीं है।