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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि पत्नी अपने पति की गुलाम या विरासत नहीं होती है जिसे पति के साथ जबरन रहने को कहा जाए। कोर्ट ने यह बयान एक ऐसे मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें पति ने कोर्ट से गुहार लगाकर अपनी पत्नी को साथ रहने के आदेश देने की मांग की थी। परीक्षण के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन और हेमंत गुप्ता ने कहा, ‘आपको क्या लगता है? क्या एक महिला गुलाम या संपत्ति है जो हम ऐसे आदेश दें? किस महिला की कोई संपत्ति नहीं है, जिसे हम आपके साथ जा रहे हैं? विवाद के मूल में दांपतिक अधिकारों की बैठक पर एक अप्रैल 2019 का आदेश है, जो कि गोरखपुर के फैमिली कोर्ट ने हिंदू विवाह ऐक्ट के सेक्शन 9 के तहत पति के हक में दिया था। महिला का दावा था कि साल 2013 में शादी के बाद से ही दहेज के लिए पति ने प्रताडित किया था
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