धरना दे रहे लोगो से कौन सी शांति भंग हुई:- राजवेंद्र सिंह

प्रशासन बताए मंसूर पार्क में धरना दे रहे लोगों से कौन सी शान्ति भंग हुई :-राजवेन्द्र सिंह

CAA NRC NPR के विरोध में रोशन बाग मंसूर अली पार्क में 55 दिनों से महिलाओं का 24 घंटे प्रदर्शन चल रहा है
आज अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधीमण्डल रोशन बाग प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया और महिलाओं को सम्बोधित करते हुए एडवोकेट हाई कोर्ट राजवेंद्र सिंह ने कहा जिन लोगों को प्रशासन द्वारा नोटिस भिजवाया जा रहा है हम इसका कल जवाब देंगे और हम खुद पूछेंगे की कौन सी शांति भंग हुई शहर में जो शांति भंग का मुकदमा आम नागरिकों पर लगाया जा रहा है शांति पूर्वक यह धरना चल रहा है इसलिए हम प्रशासन के अधिकारियों से यह अपील करना चाहते हैं कि वह इसको शांति से चलने दे यह जनता का अधिकार है विरोध करना और सुप्रीम कोर्ट ने खुद कहा है कि विरोध करने का हक है जनता को और

वही उन्होंने धरने पर बैठी महिलाओं से कहा कि आप लोगों को डरने और घबराने की जरूरत नहीं है
इसी कड़ी में एडवोकेट काशान सिद्दीकी ने कहा की नागरिक्ता संशोधन कानून सी ए ए क्या है इस कानून के अनुसार अफगानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश के हिंदू सिख ईसाई पारसी जैन और बौद्ध धर्म के वे लोग जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत की धरती पर आ गए थे उन सभी को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी इसमें एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कानून में कहीं भी धार्मिक प्रताड़ना की बात नहीं लिखी है जबकि प्रचारित यही किया जा रहा है कि यह लोग क्योंकि इन देशों में प्रताड़ित किए गए हैं इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम इन्हें नागरिकता दें तो ठीक है गवर्नमेंट नागरिकता दे इस कानून पर पहला सवाल यह है इसमें कुछ धर्मों के नाम लिए गए हैं पर जिस धर्म का नाम नहीं लिया गया है उस धर्म के मानने वाले लोगों के लिए नागरिकता संशोधन कानून CAA में क्या प्रावधान है दूसरा इन देशों के अलावा दूसरे पड़ोसी देशों जैसे म्यानमार श्रीलंका आदि का जिक्र क्यों नहीं है श्रीलंका के तमिलों को क्यों भारत सरकार की या करुणा हासिल नहीं है म्यानमार के बेदखल बेघर बार रोहिंग्या किया उनकी पीड़ा अफगानिस्तान के हजारा पाकिस्तान में अहमदिया और शिया मुसलमानों के उत्पीड़न से इस सरकार का दिल क्यों नहीं पसीजता
आगे उत्पला शुक्ला ने मौजूद महिलाओं से कहा कि आप अपने आंदोलन को इसी तरह से शांति पूर्वक चलाइए आपका आंदोलन एक मिसाल है शांति का जो भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ और इसी तरह से हम इस आंदोलन को उस वक्त तक चलाएंगे जब तक की यह गवर्नमेंट झुक नहीं जाती जो कहते हैं हमें 1 इंच पीछे नहीं हटेंगे उनको कई हजार इंच पीछे हटना पड़ेगा
मुख्य रूप से एडवोकेट हाई कोर्ट जर्रार खान, शमशुल इस्लाम, नौशाद सिद्दीकी , नाथूराम बौद्ध , अविनाश मिश्रा समेत सैकड़ो अधिवक्ताओं ने धरनारत महिलाओं को समर्थन देते हुए प्रशासन द्वारा धरनारत लोगों को नोटिस को तत्काल वापिस लेने की मांग की अन्यथा अधिवक्ता सड़को पर उतरने को बाध्य होंगे।

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