हिन्दू मुस्लिम एकता व कौमी यकजहती की मिशाल सुलतानुल शोहदा हजरत सैय्यद सालार मसऊद गाज़ी रह0के आस्ताने पर लगने वाला 5 रोजा सालाना उर्स रज्जब की 1017 वी तक़रीब बड़ी ही धूमधाम और अकीदत के साथ मुनक़्क़द की गई,सरकार ए गाज़ी के इस उर्स की खास तक़रीब कुल शरीफ आज पूरी रीति रिवाजों के साथ मुनक़्क़द कि गयी जिसमे पास पड़ोस के अज़ला के साथ साथ मुल्क भर से आये लाखों अकीदतमनदों ने शिरकत कर अपना नजराना ए अकीदत पेश किया,वैसे तो इस उर्स का आगाज बीती 6 मार्च को आस्ताने गाज़ी पर सुबह बाद नमाज़ फज्र कुरआन ख्वानी और दरगाह शरीफ के खास गेट जंजीरी दरवाजे पर लगने वाले परचम की परचम कुशाई के साथ किया गया जबकि 5 दिनों तक चलने वाले इस उर्स मुबारक के मौके पर आस्ताने गाज़ी पर कौव्वाली,नातिया मुशायरा व वाज़ बयान की अहम तक़रीबें भी मुनक़्क़द की गई वहीं इस उर्स को ब अमन मुनक़्क़द कराने के लिये जिला इंतेजामिया और दरगाह इंतेजामिया की जानिब से बिजली पानी,साफ सफाई,जरूरत मन्द जायरीनों के लिए तिब्बी इंतेजाम और बाहर से आने वाले जायरीनों के लिये ठहरने व लंगर का भी खास इंतेजाम किया गया,सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के जैर ए इंतजाम जिला इंतेजामिया व पुलिस इंतेजामिया की मदद से दरगाह इंतेजामिया कमेटी की ज़ेर निजामत मुनक़्क़द किया गया,यहां पर ये वाज़े करना भी जरूरी है कि आस्ताने गाजी मुल्क की उन तमाम दरगाहों में से ऐसी दरगाह है जहां लोग मज़हब ओ मिल्लत की परवाह न करके हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी धर्म और जाति के लोग माथा टेकने कसीर तादाद में मुल्कभर से लेकर बैरूनी मुमालिक से आते हैं और मुरादों से फ़ैज़याब होते हैं,रज्जब के इस उर्स की एक ये खासियत है कि इसी महीने में ख्वाजा गरीब नवाज का भी उर्स होता है और वहां उर्स में शिरकत करने वाले जायरीन चाहे वहां जाने से पहले या बाद में आस्ताने गाज़ी पर भी अपना माथा टेकने जरूर आते हैं।
पेश की ही हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल :यही है हिन्दुस्तान की खूबसूरती
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