ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश से मिलकर किया गठबंधन का ऐलान, 27 अक्टूबर के बाद सीटों पर समझौता, क्या ओवैसी भी जायेंगे सपा के साथ?देखे पूरी रिपोर्ट

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ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश से मिलकर किया गठबंधन का ऐलान, 27 अक्टूबर के बाद सीटों पर समझौता
बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर समाजवादी पार्टी के साथ आ गए हैं उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद कहा कि सीटों का कोई विवाद नहीं है 27 अक्टूबर के बाद सीटों पर समझौता कर लिया जाएगा


लखनऊ। यूपी चुनाव से पहले काफी लंबे समय से बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अब समाजवादी पार्टी के साथ आ गए हैं। समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। अखिलेश यादव से उनकी 1 घंटे तक बातचीत हुई है।इसके बाद उन्होंने प्रेस से वार्ता करते हुए कहा है कि बीजेपी ने सामाजिक न्याय की रिपोर्ट को कूड़े की टोकरी में डाल दिया है उन्होंने कहा कि 27 अक्टूबर के बाद हम सीटों का समझौता कर लेंगे भागीदारी संकल्प मोर्चा में सीटों का कोई विवाद नहीं है।

समाजवादी पार्टी 1 सीट भी ना देगी, तब भी समाजवादी पार्टी के साथ ही रहेंग

कुछ दिनों पहले राजभर उन नेताओं के संपर्क में थे जिनसे अखिलेश यादव का 36 का आंकड़ा है।शिवपाल यादव और असदुद्दीन ओवैसी उनमें से दो बड़े नाम हैं। पहले ही ओम प्रकाश राजभर अचानक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह से भी मिल चुके

अखिलेश यादव से मिलने के बाद भले ही ओम प्रकाश राजभर ने कहा है कि सपा और सुभासपा साथ मिलकर आए हैं लेकिन, उसी ट्वीट में उन्होंने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट भी बता दिया है दूसरी पार्टियों के नेताओं से हुई मुलाकातों को भी उन्होंने शिष्टाचार मुलाकात ही बताया था।

तो फिर ओमप्रकाश राजभर ने क्यों चली ऐसी चाल

ओमप्रकाश राजभर 2017 का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़े थे सरकार बनने के बाद वे मंत्री भी बने थे मंत्री पद छोड़ने के बाद से ही राजभर भाजपा की जड़ें खोदने में लग गये उन्होंने भाजपा विरोधी दलों का मोर्चा तो बना लिया था लेकिन, उन्हें ये अच्छे से पता था कि बिना किसी बड़े दल के साथ आये उन्हें सीटें नहीं मिल सकती हैं. मोर्चे में शामिल छोटे दलों की बदौलत किसी एक विधानसभा सीट को भी जीतना संभव नहीं है।

वहीं बड़ी पार्टियों को ये लालच होता है कि इन जाति आधारित पार्टियों के कई विधानसभा सीटों पर थोड़े-थोड़े वोट भी उन्हें जीत के करीब ला देते हैं। विधानसभा के चुनाव में तो हर सीट पर हजार वोट भी मायने रखता है।इसीलिए अखिलेश ने भी बार बार ये दोहराया है कि वे छोटी पार्टियों से ही गठबंधन करेंगे जाहिर है दोनों एक दूसरे की मजबूरी समझते हैं ये अलग बात है कि 2017 में ओपी राजभर भाजपा की मजबूरी थी और अब सपा की बनते दिख रहे हैं अब देखना ये है कि ओपी राजभर यही रूक जाते हैं या फिर कोई और राजनीतिक चाल चलते हैं

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