उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से ताल्लुक रखने वाले अर्पित सर्वेश (असली नाम: अर्पित शुक्ला) ने कम उम्र में साहित्य के क्षेत्र में ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जिससे भारत को वैश्विक पहचान मिली है। अर्पित का जन्म 17 दिसंबर 2002 को हुआ था। उनके पिता एक स्कूल में प्राचार्य हैं, जबकि माता गृहिणी हैं और बड़े भाई बैंक में कार्यरत हैं।
अर्पित की प्रारंभिक शिक्षा प्रतापगढ़ के एक केंद्रीय विद्यालय, आत्रेय एकेडमी से हुई। उन्होंने इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्नातक किया और अब बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक कर रहे हैं।
लेखन की शुरुआत और प्रेरणा
अर्पित ने अपने लेखन की शुरुआत ‘लाइट ऑफ डार्कनेस’ नामक पुस्तक से की, जिसने उन्हें नई सोच और अभिव्यक्ति का मंच प्रदान किया। इसके बाद उन्होंने 150 से अधिक साझा संकलनों में भागीदारी की, जिसमें उन्होंने प्रेम, समाज, आध्यात्म, राजनीति और शिक्षा जैसे विषयों पर लेखन किया।
अद्वितीय रिकॉर्ड और उपलब्धियाँ
अर्पित ने एक दिन में 15 विदेशी भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित कर विश्व रिकॉर्ड बनाया, जिसे उन्होंने मात्र 21 वर्ष की उम्र में हासिल किया। उन्होंने जर्मन, फ्रेंच, जापानी, अरबी, स्पैनिश, कोरियन, कुर्दिश सहित कुल 17 भाषाओं में साहित्य सृजन किया। खास बात यह है कि कुर्दिश भाषा में पुस्तक प्रकाशित करने वाले वे पहले भारतीय बने हैं।
आज तक अर्पित 22 पुस्तकों के लेखक और 2 संकलनों के संकलक रह चुके हैं। उन्होंने ‘वर्ड्स ऑफ अर्पित’, ‘अर्पित की नीति’, ‘वेरिटी ऑफ इंडिया’ और एक अंग्रेजी व्याकरण की पुस्तक भी प्रकाशित की है। उन्हें अब तक तीन बार विश्व रिकॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है और 2024 में उन्हें इंटरनेशनल आइकॉन अवार्ड भी प्राप्त हुआ।
सकारात्मक सोच और प्रेरणादायक संदेश
अर्पित के लेखन का मूल उद्देश्य युवाओं और पाठकों को जीवन में सही दिशा दिखाना है। उनका मानना है कि किसी भी बदलाव की शुरुआत खुद की आदतों को सुधारने से होती है। वे कहते हैं कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन हिम्मत और सकारात्मक सोच से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
परिवार का योगदान
अर्पित अपने परिवार — पिता डॉ. संतोष शुक्ला, माता श्रीमती अनीता शुक्ला और दादा जी श्री जगदंबा प्रसाद शुक्ला — का विशेष रूप से धन्यवाद करते हैं, जिनकी प्रेरणा और आशीर्वाद ने उन्हें आज इस मुकाम तक पहुँचाया।
अर्पित सर्वेश की ये उपलब्धियाँ सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि समस्त भारत की गौरवगाथा बन चुकी हैं। वह युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं जो यह दिखाते हैं कि लगन, मेहनत और सकारात्मक सोच से कोई भी सपना हकीकत बन सकता है।






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