लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा और उसके करीबी अंकित दास के लाइसेंसी असलहा की बैलेस्टिक रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है. अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल के साथ आशीष मिश्रा की राइफल की बैलेस्टिक रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है.
बैलेस्टिक रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि
आशीष-अंकित की बढ़ेंगी मुश्किलें
लखीमपुर हिंसा मामले में आशीष मिश्रा और उसके दोस्त अंकित दास के जब्त हुए असलहों की बैलेस्टिक रिपोर्ट आ गई है. बैलेस्टिक रिपोर्ट में 3 असलहों से फायरिंग की पुष्टि हुई है. लखीमपुर के तिकुनिया हिंसा में पुलिस ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और उसके दोस्त अंकित दास के 4 लाइसेंसी हथियार जब्त किए थे.
आशीष मिश्रा की राइफल व रिवॉल्वर और अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल जब्त की गई थी. 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में किसानों को रौंदने के बाद फायरिंग की पुष्टि के लिए पुलिस ने दोनों आरोपियों के चार असलहे जब्त कर फॉरेंसिक लैब भेजे थे. एफएसएल लैब से आई बैलेस्टिक रिपोर्ट में तीन हथियारों से फायरिंग की पुष्टि हुई है.
मिली जानकारी के अनुसार, अंकित दास की रिपीटर गन व पिस्टल के साथ आशीष मिश्रा की राइफल की बैलेस्टिक रिपोर्ट में फायरिंग की पुष्टि हुई है, लेकिन तीन असलहो की बैलेस्टिक रिपोर्ट से फायरिंग की पुष्टि भले हुई हो लेकिन यह फायरिंग लखीमपुर तिकुनिया हिंसा में हुई है इसकी पुष्टि के लिए मौके से बरामद खोखे का मिलान होना भी जरूरी है.
फायरिंग कब और कहां हुई? इसकी पुष्टि बाकी
पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि किसी भी घटना में प्रयुक्त असलहे और घटनास्थल से मिले खोखे के मिलान के बाद ही यह पुष्टि हो सकती है कि घटना में असलहे से फायरिंग की गई. अगर कोई खोखा नहीं मिलता है तो असलहे से फायरिंग कब हुई, कहां हुई इसकी पुष्टि होना मुश्किल होता है.
वहीं बैलेस्टिक जांच की बात करें तो फॉरेंसिक लैब से जुड़े एक साइंटिस्ट का कहना है कि किसी भी असलहे से गोली चलने के बाद उसके बैरेल में कार्बन के कण रह जाते हैं, कार्बन के उन कण को निकालकर पता किया जाता है कि असलहे से फायरिंग हुई या नहीं, लेकिन अगर बैरल को अच्छे से साफ कर दिया जाए तो फायरिंग की पुष्टि होना मुश्किल होता है.
फिलहाल लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस को आशीष मिश्रा की जली हुई थार जीप से 315 बोर के 2 खोखे भी मिले थे. वहीं आशीष मिश्रा की जब्त हुई राइफल, जिससे फायरिंग की पुष्टि हुई है वह भी 315 बोर की ही बताई गई है. अब पुलिस को जीप से बरामद खोखे और आशीष मिश्रा की राइफल की पिन का मिलान करना होगा.
क्या है पूरा मामला
3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था, तभी तीन गाड़ियों के काफिले ने किसानों को कुचल दिया. इस हादसे में चार किसानों और एक पत्रकार की मौके पर मौत हो गई थी. गुस्साई भीड़ ने तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला था.
आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की मौजूदगी में गाड़ियों ने किसानों और पत्रकार को कुचला था. इसके साथ ही आरोप है कि बीजेपी नेताओं की ओर से फायरिंग भी की गई थी. इस मामले में लखीमपुर पुलिस ने आरोपी आशीष मिश्रा और उनके करीबियों को गिरफ्तार कर लिया था. फिलहाल सभी जेल में बंद हैं.
वहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मारने के आरोप में कुछ किसानों को भी गिरफ्तार किया गया है. किसानों को कुचलने के इस मामले में काफी तूल पकड़ा और इस पर जमकर सियासत भी हुई. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा, जहां कल (8 नवंबर) को सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार भी लगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कहा कि उसे मामले की जांच कर रही SIT टीम पर भरोसा नहीं है, इसलिए जांच की निगरानी के लिए रिटायर्ड जज की नियुक्ति जरूरी है. इसके अलावा कोर्ट ने FIR में हो रहे घालमेल पर भी आपत्ति जताई और कहा कि जांच दल खास आरोपी के बचाव में सबूत जुटा रहा है.
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