अब ये भी होगा: बात पहुंच गई साहब के पास,महंगाई डालने लगी रिश्‍तों में दरार, पत्‍नी बोलीं नहीं चल रहा खर्च पतियों का कहना कहां से लाऊं पैसा,देखे पूरी रिपोर्ट

महंगाई घरों में भी रार करा रही है। पत्नियां इसे लेकर पुलिस तक पहुंच रही हैं। मामले परिवार परामर्श केंद्र आ रहे हैं। कांउसिलिंग के दौरान 40 फीसद मामलों में पत्नी की शिकायत होती है कि पति समय पर खर्च नही देते हैं। जो भी रकम देते हैं, वह इतनी कम होती है कि घर का बजट नहीं बन पाता। पुलिस परिवार परामर्श केंद्र इस वर्ष 400 से अधिक मामले पहुंचे। जिसमे 40 फीसद मामले इसी तरह के थे। वहीं पतियों ने भी काउंसलर को अपनी समस्या बताई। उनका कहना था कि महंगाई बढ़ गई है, लेकिन उनकी आय उतनी ही है।


जगदीशपुरा इलाके के रहने वाले दंपती की शादी को करीब सात वर्ष हो गए हैं। पति द्वारा दिए जाने वाले वेतन से घर का खर्च नहीं चलने पर दंपती में रार होने लगी। पत्नी ने पुलिस में शिकायत कर दी।

मामला परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलिंग को भेजा गया।पत्नी का कहना था कि पति दस हजार रुपये महीने देता है। इसमें घर का खर्च चलाना मुश्किल हाे गया है। राशन, दूध, तेल और गैस सब कुछ महंगा हो गया है। बच्चों के स्कूल की फीस भी इसमें देनी होती है। घर चलाने के लिए पति से खुद भी काम करने की कहा तो वह राजी नहीं है। वह लोगों के घरों में काम करके दो से तीन हजार रुपये महीने कमाकर इस संकट से उबरने में मदद करना चाहती है। पति ने काउंसलर को बताया कि उसे करीब 12 हजार रुपये महीने मिलते हैं। जिसमें वह दो हजार गाड़ी में पेट्रोल व अपने खर्च के रखकर बाकी पूरा वेतन पत्नी को दे देता है। काउंसलर के समझाने पर पति ने एक सप्ताह का समय मांगा, जिससे कि वह परिवार के लोगों से बात करने के बाद पत्नी को भी काम करने के लिए राजी कर सके।


एत्माद्दौला क्षेत्र निवासी पति एक फैक्टरी में कर्मचारी है। उसे करीब 10 हजार रुपये महीने वेतन मिलता है। शादी के करीब दो वर्ष हुए हैं। पति-पत्नी किराए पर रहते हैं। पत्नी ने छह महीने पहले पति से मोबाइल दिलाने की कहा था। पति हर महीने आश्वासन दे देता। जिसे लेकर रार हो गई, पत्नी ने पति पर घर का खर्चा नहीं देने का आरोप लगा शिकायत कर दी।

मामला काउंसलर के पास पहुंचने पर उन्होंने बातचीत की। पति ने बताया कि वह आठ हजार रुपये महीने पत्नी काे देता है। जिस पर पत्नी का कहना था कि घर का किराया, बिजली का बिल, राशन, दूध और गैस सिलेंडर आदि पर सारी रकम खर्च हो जाती है। महीने के आखिर में उसके पास कुछ सौ रुपये ही बचते हैं। काउंसलर ने दोनों को बचत करके मोबाइल खरीदने के लिए समझाया। जिस पर पत्नी तैयार हो गई।


पुलिस परिवार परामर्श केंद्र में आने वाले मामलों दंपतियों की काउंसलिंग के दौरान पत्नियों ने घर के बजट को लेकर काउंसलर सामने अपनी दिक्कतें बताईं। वहीं, पतियों ने भी काउंसलर के सामने अपना पक्ष रखा।


-पति रुपये उतने ही देते हैं, जितने वह दो वर्ष पूर्व देते थे। पहले महीने भर का राशन 2400 रुपये में आ जाता था। अब वही राशन 4200 रुपये में आ रहा है।
-गैस सिलेंडर, दूध और खाद्य तेलों के दाम बढ़ गए हैं।
-स्कूलों की फीस नहीं बढ़ी है। कापी-किताबों, ट्यूशन फीस और स्कूल वैन का किराया दोगुना हो गया है।
-मकान का किराया बढ़ गया है, बिजली का बिल भी अलग से देना होता है।
-वेतन का अधिकांश हिस्सा पत्नी को दे देते हैं। सारी स्थिति पता होने पर भी पत्नी फरमाइश करती हैं। ऐसे में रुपये कहां से लाएं।
-वैन का किराया बचाने को खुद बच्चों को स्कूल छोड़ने का प्रयास किया, करते हैं। पेट्रोल महंगा होने के चलते दो बार चक्कर लगाने पर इतना ही खर्चा आता है।


परिवार न्यायालय में काउंसलर एवं एडवोकेट प्रमिला शर्मा कहती हैं कि महंगाई को लेकर घरों में रार बढी है। पत्नियों की शिकायत है कि हर चीज महंगी हो गई है, इसके बावजूद पति पहले जितने रुपये ही हर महीने देते हैं। पतियों का कहना है कि वह जितना हो सकता है, उतना करते हैं। इसका समाधान ये कि पत्नियाें को भी आत्मनिर्भर बनना होगा। अपने स्तर से ही छोटा सा काम शुरू करना चाहिए।
काउंसलिंग को आने वाले 40 फीसद मामलों में विवाद का कारण आर्थिक हाेता है। पत्नियों की शिकायत होती है कि पति समय पर खर्चा नहीं देते हैं। जो रकम वह देते हैं, उसमें घर नहीं चलता।

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