विकास दुबे एनकाउंटर केस में एक हफ्ते में शुरू हो जांच और दो महीने में खत्म: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान को 3 सदस्यीय जांच आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है। यह जांच आयोग आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और गैंगस्टर विकास दुबे व उसके पांच सहयोगियों की मुठभेड़ में मौत के मामले की जांच करेगा।  
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि जांच आयोग एक सप्ताह के भीतर काम करना शुरू कर दे और जांच दो महीने के भीतर समाप्त करे। जांच आयोग के अन्य दो सदस्य – हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शशिकांत अग्रवाल और उत्तर प्रदेश के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक के एल गुप्ता होंगे।
पीठ के जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन ने भी ड्राफ्ट अधिसूचना को मंजूरी दे दी और उत्तर प्रदेश सरकार को इसे अधिसूचित करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र को जांच समिति को सचिव स्तर की सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है और कहा कि सहायता राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) या किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी द्वारा प्रदान की जानी चाहिए।

पीठ ने कहा कि जांच आयोग अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ राज्य सरकार को भी सौंपेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच आयोग द्वारा की जाने वाली जांच का दायरा पर्याप्त होना चाहिए। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत आयोग के ‘हाथों को बांधने’ के पक्ष में नहीं है। इसमें कहा गया है कि आयोग को दुबे और उसके कथित सहयोगियों की आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और उसके बाद हुई मुठभेड़ों की घटनाओं की जांच करनी होगी।
उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) चौहान ने जांच आयोग का हिस्सा बनने के लिए अपनी सहमति दे दी है। मेहता ने पीठ को बताया कि आयोग उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिसके तहत दुबे के खिलाफ 65 केस में जांच चल रही थी और वह जमानत पर रिहा था। 
शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने दुबे और उनके पांच कथित सहयोगियों की मुठभेड़ों की अदालत से निगरानी में जांच की मांग की है। कुछ याचिकाओं में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की भी जांच की मांग की है, जिसमें डीएसपी देवेंद्र मिश्रा शामिल हैं, जो कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई को विकास दुबे को पकडने के लिए गए थे और शहीद हो गए। 

पुलिस ने कहा था कि दुबे 10 जुलाई की सुबह एक मुठभेड़ में मारा गया, जब उन्हें उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था। गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी और उसने भागने की कोशिश की तो पुलिस ने उसे मार गिराया।
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