Tag: रुबरुइण्डिया

  • कोरोना: बिना जांच दावा जिले में नही है कोई सन्दिग्ध,लापरवाही आई सामने…देखे पूरी रिपोर्ट

    जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही खुलकर आई सामने अबतक जिले में बिना जांच कराए दावा करते रहे कि जिले में नही है कोई सन्दिग्ध। जबकि जिले में तैनात जिलाधिकारी डॉ रूपेश कुमार खुद है एमबीबीएस एमडी डॉक्टर। कोरोना के मामले में सक्रियता दिखाने के बजाय खुद सिमटे हुए थे बंगले में। जिले में दो कोरोना सस्पेक्ट का डॉक्टरों ने नाक और गले से सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजा लखनऊ। तीन दिन बाद आएगी जांच रिपोर्ट। इलाके में मचा हड़कम्प। बता दे कि जिले के कोहड़ौर थाना इलाके के चंदौका कल्यानी के 19 वर्षीय युवक का सैम्पल लिया गया तो वही जेठवारा इलाके के कटरा गुलाबसिंह के पास पूरे महन्थ के 18 वर्षीय युवक का भी सैम्पल लिया गया। बता दे इसी के साथ मुम्बई से 18 तारीख को आया पूरेतोरई का सतीश अग्रहरी में कोरोना के लक्षण सर्दी, जुकाम, बुखार और सांस लेनेबमे दिक्जत नजर आने पर स्थानीय डॉक्टर को दिखाया जिसके बाद डॉक्टर ने उसे सीएचसी या जिला अस्पताल में दिखाने को निर्देश दिया जिसके बाद सीएचसी के डॉक्टरों ने उसे 20 तारीख को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहा से उसे घर भेज दिया गया और 24 तारीख की रात लगभग 8 बजे उसकी मौत हो गई, और 25 तारीख को उसका अंतिम संस्कार गांव में ही कर दिया गया। इसके बाद जांच को पहुचे सीएमओ ने प्राथमिक उपचार करने वाले प्राइवेट डॉक्टर की क्लीनिक को ही सीज कर दिया। लेकिन उसके साथ आये दूसरे युवक की और परिजनों के टेम्परेचर की जांच कर दायित्वों की इतिश्री कर दी। अब जब भारी संख्या में आमद हो रही है परदेशियों की तो बढ़ी स्वास्थ्य महकमे की सक्रियता। खुद की पीठ थपथपाने की बजाय डॉक्टर जिलाधिकारी को पहले ही इस महामारी की सम्हालना चाहिए था कमान। अब सीएमओ बता रहे है कि बाहरी लोगों का आगमन हो रहा है तो हमने सैम्पल भेज है जांच को।

    प्रतापगढ़। अमीर राईन

  • भारत में बीमारी से मरते है साल में 12 लाख लोग तो कोरोना …..देखे रिपोर्ट

    भारत में टीयूबर ग्लोसेस से हर साल कम से कम 5 लाख लोग मर जाते है मलेरिया से लगभग 2 लाख लोग मर जाते हैं हेपेटाइटिस से 75 हज़ार लगभग इसी तरह से कई बीमारियां हैं जिससे करीब 12 लाख लोग सालाना मरते हैं तो आखिर कोरोना से इतना डर किउ ? पूरा देश आखिर बंद कैसे हो गया?

    आइये थोड़ा समझते हैं !

    क्या आपको पता है चाइना आज भी गूगल का प्रयोग नहीं करता उसका खुद का एप है चाइना यूट्यूब का इस्तेमाल नहीं करता बल्कि उसका खुद का अपना यूट्यूब है चाइना फेसबुक का इस्तेमाल नहीं करता , टीयूटर का इस्तेमाल नहीं करता असल में चाइना अपने को दुनिया से छुपा कर रखता है यहां तक चाइना में अखबार भी सिर्फ चाइनीज़ में ही छपते हैं!

    अब आते है कोरोना पर 17 मार्च से अचानक चीन से कोरोना गायब होना सुरु हो गया आज चाइना में कोई मौत कोरोना से नहीं हो रही है थोड़े बहोत केस जो मिल भी रहे हैं वो विदेश से आये हुए लोग हैं!
    आखिर चीन से कोरोना गया कहाँ?

    कोरोना पर एक प्रसिद्ध पत्रकार नें कहा कि कोरोना फैलाने से पहले चाइना नें उसकी बैक्सीन बनाई और तब तक अपने फ्रिज में रखी जब तक कोरोना पूरी दुनिया में ना फैल जाये!

    अब आगे की बात दोस्तों चीन दुनिया के इन्वेस्टमेंट का हब बन गया था कोरोना के आने के बाद वही विदेशी इन्वेस्टर औने पौने दाम पर अपना शेयर बेच कर चाइना से भाग गए!

    उसके बाद चीन नें एक ही दिन में कोरोना को लगभग 99% अपने यहां से गायब कर दिया आज हाल ये है कि चीनी नागरिक जिन देशों में इन्वेस्ट करते थे उनकी कमर लगभग टूट गई है!!
    ये एक युद्ध है इकोनॉमी का जिसमें चाइना जीत चुका है और पूरी दुनिया तबाह हो चुकी है हो सकता है इस युद्ध में चाइना नें अपने कुछ लोंगों को खो दिया हो लेकिन जहां दुनिया की इकोनॉमी धरातल में जा रही है वहीं चाइना की इकोनॉमी बढ़ रही है!!
    लेकिन हम भारतीयों को हराना इतना भी आसान नहीं है हम ऐसे छोटे मोटे वायरस से रोज लड़ते है हम भगवान अल्लाह गुरु नानक को मानने वाले लोग हैं हम भगवान से लड़ते नहीं बल्कि पूजा करते हैं उनको खुश करने के लिए इबादत करते हैं हमको यक़ीन है हमारी हिफाज़त वही करेगा जिसने हमको पैदा किया है!!
    -जावेद खान

  • लॉकडाउन में माओवादी दाने-दाने को मोहताज,मिली धमकी, देखे पूरी ख़बर

    रायपुर. पूरे देश में इस वक्त लॉकडाउन है। माओवादियों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है। लॉकडाडन के बीच प्रभावी धारा 144 के चलते जिले के ग्रामीण इलाकों में लगने वाले हाट-बजार नहीं भर रहे हैं। इस वजह से माओवादी दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। अब वे राशन जुटाने के लिए अपने प्रभाव वाले इलाके के सरपंचों पर राशन के लिए दबाव बना रहे हैं।
    सशस्त्र आंदोलन चला रहे माओवादियों की मलांगिर एरिया कमेटी इस वक्त भूखे मरने की स्थिति में दिखाई पड़ रही है। अंदरूनी क्षेत्र में लगने वाले साप्ताहिक बाजार बंद हो गए जहां से माओवादियों को दैनिक उपयोग की सामग्री दाल, चावल, सब्जी आदि आसानी से मिल जाया करती थी।
    मलांगिर एरिया कमेटी के इलाके में आने वाले आधा दर्जन सरपंचों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि माओवादियों के दबाब के चलते हम दहशत में हैं। एक ओर पूरे गांव को बंद किया गया है दूसरी तरफ वो लोग राशन लाने कह रहे हैं। फिलहाल तो हम खुद अपनी जरूरतों का सामान लेने शहर नहीं पहुंच रहे हैं तो उनके लिये खाद्य सामग्री की व्यवस्था कहां से करें।
    माओवादियों की सप्लाई चेन तोडऩे पुलिस सक्रिय
    पूरे दंतेवाड़ा जिले में इस वक्त माओवादी रसद जुटाने में लगे हुए हैं। ऐसी स्थिति में पुलिस को भी माओवादियों की सप्लाई चेन तोडऩे का शानदार मौका मिला है। माओवादी राशन के लिए जहां-जहां पहुंच सकते हैं वहां दंतेवाड़ा पुलिस की पैनी नजर है। किरंदुल, दंतेवाड़ा, गीदम की दुकानों की खास निगरानी की जा रही है। अगर कहीं भी पुलिस को लग रहा है कि जरूरत से ज्यादा राशन की खरीदी हो रही है तो संदेह के आधार पर पूछताछ की जा रही है।
    गुमियापाल में ग्रामीणों को पीटा, 500 किलो चावल देने कहा
    लॉकडाउन से माओवादी इस कदर बौखला गए हैं कि वे गांवों में जाकर वहां के ग्रामीणों की पिटाई कर रहे हैं। दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने बताया कि गुमियापाल में ग्रामीणों के साथ माओवादियों ने बेदम पिटाई की है और सभी को धमकी दी है कि अगर दो दिन में 500 किलो चावल की व्यवस्था नहीं की तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे हैं। ऐसी स्थिति में अब ग्रामीण असमंजस की स्थिति में हैं कि आखिर वे करें तो करें क्या। क्योंकि वे भी लॉकडाउन में अपने लिए पर्याप्त राशन नहीं जुटा पा रहे हैं।
    माओवादी कमांडर कमलेश ले रहा बैठक
    माओवादी कमांडर कमलेश ग्रामीणों की लगातार बैठक लेकर उन पर राशन के लिए दबाब बना रहा है कुछ सरपंचों ने फोन पर मुझसे भी शिकायत की है। गुमियापाल गांव में ग्रामीणों की बेदम पिटाई कर 500 किलो चावल देने को कहा गया है। क्योंकि पोटाली, अरनपुर, पालनार बाज़ार बंद है और किरंदुल बाजार में पुलिस मुस्तैद है जिसके कारण माओवादियों तक आसानी से रसद नहीं पहुंच पा रहा है। जिससे माओवादी बौखलाए हुए हैं। माओवादियों का अमानवीय चेहरा इसी बात से उजागर होता है कि जहां पूरा देश इतनी भयंकर आपदा से लड़ रहा है वहीं ये लोग स्वार्थ में ग्रामीणों पर अत्याचार कर रहे हैं।
    -डॉ. अभिषेक पल्लव, एसपी दंतेवाड़ा

    इस्तेखार अहमद

  • नक्सलियों ने दी माड़िया समाज के अध्यक्ष को धमकी

    नक्सलियों ने लॉक डाउन के दौरान बारसूर थाना क्षेत्र के पहुरनार में पुलिया निर्माण में लगी मिक्चर मशीन को आग के हवाले कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक बीती रात इंद्रावती एरिया कमेटी के लीडर मल्लेस के साथ भारी संख्या में पहुचे वर्दीधारी नक्सलियों ने इस आगजनी की घटना को अंजाम दिया। घटना के बाद माओवादियों के द्वारा पहुरनार इलाके में भारी संख्या में जगह-जगह बैनर पोस्टर लगाये गये है। इन बैनर पोस्टर में माओवादियों द्वारा माडिया समाज अध्यक्ष पद पर बैठे राम जी धुर्वा को गद्दार कहा है। और साथ ही रामजी पर आरोप लगाया कि वे आदिवासी समाज को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में संलिप्त है। साथ ही कहा हैं कि इन्हें माडिया समाज के अध्यक्ष पद से हटाया जाये।
    पूंजीपतियों की सरकार हैं और सरकार मजदूरों को धोखा दे रही है
    अपने बैनर पोस्टरों मे माओवादियों ने लिखा है कि मजदूर और जनता शासन के धोखाधड़ी जैसे भ्रष्टाचार से लिप्त विकास कार्यों में अपनी भागीदारी ना निभाये और शासन का साथ न दे। और विकास के नाम पर बन रहे पुल-पुलिया एवम सड़क निर्माण कार्य को बंद कर दे। ये पूंजीपतियों की सरकार हैं और सरकार मजदूरों को धोखा दे रही है। और पूंजीवाद को बढ़ावा देते हुए यहाँ के आदिवासियों का हक मार रही है।
    बैनर पोस्टरों के माध्यम से इनका विरोध करते हैं
    इसके अतिरिक्त माओवादियों ने मजदूरों को काम न करने के लिये और आगामी घटनाओ से उन्हें दूर रहने की सलाह और चेतावनी बैनर पोस्टर के माध्यम से दी है। गौरतलब हैं कि इंद्रावती नदी पार के इलाको को मुख्यधारा से जोड़ने के लिये इंद्रावती नदी पर तीन पुलो का निर्माण हो रहा है। और इन पुलो के बनने से अबूझमाड़ के 40 गांवों नया जीवन मिलेगा वो भी शासन की मुख्य धारा से जुड़ जायेंगे। इसलिये माओवादी लगातार बैनर पोस्टरों के माध्यम से इनका विरोध करते हैं।
    क्यों करते है नक्सली सड़क पुलिया निर्माण का बहिष्कार ?
    अबूझमाड़ माओवादियों का बेस एरिया रहा है कही ना कहीं ग्रामीण इलाकों में विकास के बाद वो अपने बेस एरिया में ही कमजोर हो जायेंगे। इस लिये माओवादी पुल व सड़क निर्माण का विरोध करते हैं।और माओवादी टीसीओसी सप्ताह में बड़ी घटना कि तेयारी करते है।

    इस्तेखार अहमद की रिपोर्ट

  • वो काजू बादाम खाकर कहता हैं कोई भूखा ना, देखे पूरी ख़बर

    वो काजू बादाम खाकर कहता हैं
    कोई भूखा ना रहें
    वो कहता हैं ।

    वो अपने घरों में सुख सुविधाओं आराम से बैठ कर
    कहता हैं कोई सड़क पे ना घूमें
    वो कहता हैं ।

    वो विदेशों से आने वालों को रोक ना पाया
    और हम साधारण से लोगों को कहता हैं घर से बाहर ना निकलो
    वो कहता हैं ।

    वो विदेशों में फँसें रोगियों को पूरे संसाधन की व्यवस्था के साथ घर में ले आता हैं
    यहाँ विद्यार्थी, मज़दूर और अन्य को अपने पास के घर/गाँव जाने के लिए कोई सुविधा नहीं
    वो कहता हैं ।

    वो महामारी से बिगड़े हालात तो दिखा सकता हैं
    मगर भुखमरी से बिगड़ने वाले हालात क्यूँ नहीं दिखता
    वो कहता हैं ।

    वो पत्रों और काग़ज़ में पूरी व्यवस्था कर चुका हैं
    यहाँ रात को क्या खाना बनाना हैं इस बारे में सोच पूरा परिवार दुःखी हैं
    वो कहता हैं ।

    वो आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति श्रंखला बनाए रखने के साथ ही कमजोर एवं वंचित वर्ग को नकद राशि व आवश्यक राशि उपलब्ध करने बात करता हैं
    मगर लोगों को चिंता ये हैं कब मिलेगा और कैसे मिलेगा
    वो कहता हैं ।

    उसको अच्छें से मालूम हैं कि जिंदगी बेहाल है
    फिर भी लोग से कहता हैं … हाल कैसा हैं
    वो कहता हैं ।

    वो कहता हैं उसे पहले से पता था कोरोना महामारी कितनी बड़ी समस्या होने वाली हैं
    फिर लॉक्डाउन के पहले व्यवस्थित और सुरक्षित होने का समय क्यूँ नहीं देता?
    वो कहता हैं ।

    वो कोई और नहीं हमारा प्रशासन ही हैं

    रायपुर से इस्तेखर अहमद की रिपोर्ट

  • स्पेन की राजकुमारी की कोरोना के चलते मौत, कैसे हुई देखे रिपोर्ट

    स्पेन की राजकुमारी मारिया टेरेसा की कोरोना के चलते मौत हो गई है. उनके भाई और ड्यूक ऑफ अरेंज्यूज़ प्रिंस सिक्सटो एनरिक डी बोरबोन ने फेसबुक पर एक पोस्ट डालकर इस बात की जानकारी दी. राजकुमारी की मौत 26मार्च को हुई. कोरोना के चलते शाही परिवार में किसी सदस्य की यह पहली मौत है. मारिया टेरेसा 86 साल की थीं. राजकुमारी स्पेनिश शाही परिवार की कैडेट शाखा, बॉर्न-परमा के घर की सदस्य थीं.

    उनके भाई ने फेसबुक पर जानकारी देते हुए लिखा, ’26 मार्च 2020 यानी इस गुरुवार को उनकी बहन मारिया टेरेसा की पैरिस में मौत हो गई. वह कोरोना वायरस से संक्रमित थीं. ‘
    उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को मैड्रिड में हुआ.

    बता दें, मारिया का जन्म 1933 में पैरिस में हुआ. उन्होंने फ्रांस से अपनी पढ़ाई पूरी की. विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीधी राय रखने और एक एक्टिविस्ट होने के चलते उन्हें Red Prices के नाम से भी जाना जाता था.

    इस्तेखार अहमद

  • प्रतापगढ़ प्रशासन की बड़ी लापरवाही? होगी भीषण तबाही देखे रिपोर्ट

    प्रतापगढ़ । कोरोना को लेकर प्रतापगढ़ प्रशासन की बड़ी लापरवाही लाकडाउन के बाद दूसरे राज्यों से अपने घरों पर आ रहे लोगों की नहीं हो पा रही कोरोना जांच इस बड़ी लापरवाही से प्रतापगढ़ का नाम भी हो सकता कोरोना पीड़ितों की लिस्ट में शामिल जिले में अभी तक नहीं है कोई कोरोना पाजिटिव केश। सांगीपुर सीएचसी पर बड़ी लापरवाही भारी संख्या में बाहर शहरों से गांव आ रहे लोगों की सूचना देने पर भी जांच के लिए नहीं पहुंच रही कोई स्वास्थ्य टीम। सीएमओ एके श्रीवास्तव की लापरवाही लगातार हो रही जगजाहिर। लाकडाउन के चौथे दिन भी देश में नहीं थम रही कोरोना पीड़ितों की संख्या। अगर लोगों ने प्रशासन की बात को किया नजरअंदाज तो देश में आ सकती भीषण तबाही।

  • दुनियाभर के विकसित देशों की त्रासदी को देखते हुए सरकार ने लिया बड़ा फैसला, देखे ख़बर

    कोरोना वायरस की गंभीरता और दुनियाभर के विकसित देशों की त्रासदी को देखते हुए सरकार ने रिस्क लेते हुए लॉकडाउन का बड़ा फैसला लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में जनता से इसके लिए माफी भी मांगी है। हालांकि दुनियाभर के उदाहरण को देखकर लगता है कि यह कदम उठाना बेहद जरूरी था। फिर भी प्रधानमंत्री ने संवेदना जताते हुए कहा कि लोगों की परेशानी के लिए वह देशभर की जनता से माफी मांगते हैं।
    पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया के हालात देखने के बाद लगता है कि आपके परिवार को सुरक्षित रखने का यही एक रास्ता बचा है। बहुत से लोग मुझसे नाराज भी होंगे कि ऐसे कैसे सबको घर में बंद कर रखा है। आपको जो असुविधा हुई है, इसके लिए क्षमा मांगता हूं।
    लॉकडाउन के बात देशभर से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही हैं जो कि किसी का भी दिल पिघला सकती हैं। शहरों में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करने वाले लोग गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं। लोग हजार किलोमीटर की भी दूरी की परवाह किए बिना छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ पैदल ही निकल पड़े हैं। ऐसे में मीडिया में लगातार ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं जो बेहद संवेदनशील हैं।
    पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं आपकी परेशानी समझता हूँ देश को कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई के लिए, ये कदम उठाये बिना कोई रास्ता नहीं था. कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई, जीवन और मृत्य के बीच की लड़ाई है और इस लड़ाई में हमें जीतना है।’

    इस्तेखार अहमद की रिपोर्ट

  • कोरोना मौत से डरें या पापी पेट वाली हर रोज़ की मौत से, देखे बूढ़ी दादी की जबानी

    कोरोनावायरस लॉक डाउन के बीच एक ऐसी दर्द भरी बुजुर्ग दंपत्ति की दास्तां सामने आई है। जिसे सुनकर आंखें नहीं दिल से आंसू निकल पड़े हैं। एक बुजुर्ग दंपत्ति जिनमें पति अपनी आंखें खुल चुका है। दोनों ही सड़क पर गुब्बारे बेचने के लिए सुनसान सड़क पर निकल आए हैं। जिनका कहना है कि लॉक डाउन के दौरान हम लोग घर पर कब तक रहें? खाने पीने के लिए सब कुछ खत्म हो गया तो घर में कलेश होने लगी और निकल पड़े पापी पेट के लिए कुछ कमाने की फ़िराक़ में, इन सुनसान सड़कों पर

    शीला और उसके पति बहादुर सिंह दोनों ही बुजुर्ग जो कि खुद को पुराने शहर के कृष्णा कॉलोनी लाल मस्जिद के पास निवासी बता रहे हैं। बन्नादेवी इलाका स्थित मछली वाली गली के बाहर सुनसान सड़क किनारे गुब्बारे बेचते हुए नज़र आए। जब इन लोगों से पूछा गया तो बुजुर्ग महिला ने बताया कि बहादुर सिंह की बुखार बिगड़ जाने के कारण आंखों की रोशनी चली गई। यह लॉक डाउन जब से हुआ है तभी से वह अपने घर पर ही थे। उनकी दो बेटियां हैं जिनकी शादी हो चुकी है। एक को उसका पति छोड़ चुका है। दूसरी बेटी जो मेरठ में रहती है वह भी आई हुई थी लेकिन रॉकटाउन के चलते ही घर पर यही फंसी रह गई है। शीला ने बताया कि दो-चार दिन तो हम घर पर ही रुके, कुछ राशन पानी मदद के तौर पर मिल गया। अब वह भी खत्म हो गया है। जब राशन खत्म हो गया तो घर में बच्चों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। इधर राशन वाले ने एक नाम काट दिया उसे जुड़वाने के 200 रुपये मांगे हैं। अब परेशान होकर हम मियां बीवी ने सोचा कि चलो बाहर अपने गुब्बारे बेचने चलते हैं। ऊपरवाला कुछ तो मदद कर ही देगा। यहां मच्छी वाली गली के बाहर बैठे हुए थे। लोगों ने कुछ मदद भी की, लेकिन उससे एक वक्त का खाना तो हो जाता है पूरे परिवार का पालन पोषण तो नहीं हो पाता है।

  • केंद्रीय कारगर में बंद कैदियों के लिए खुशखबरी की वजह बनी कोरोना वायरस, बंदियों को किया …. देखे पूरी ख़बर

    रायपुर. केंद्रीय कारागार रायपुर से शुक्रवार को 96 विचाराधीन बंदियों को रिहा किया गया। इन सभी को स्वयं के मुचलके पर छोडऩे के आदेश रायपुर जिला कोर्ट द्वारा जारी किए गए है। वहीं कैदियों को पैरोल और जमानत पर रिहा करने के लिए सभी जेलों से रिपोर्ट मंगवाई गई है। इसकी जांच करने के बाद राज्य सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। बताया जाता है कि है कि चार दिनों के भीतर 7 वर्ष से कम सजा वाले विचाराधीन, सजायाफ्ता कैदियों और बंदियों 30 अप्रैल तक पैरोल और जमानत पर रिहा किया जाएगा।
    बता दें कि कोरोना के कहर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गाइडलाइन जारी की गई थी। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर के न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अध्यक्षता में बैठक का आयोजन किया गया था। इस दौरान एसीएस सुब्रत साहू, विधि विभाग के प्रमुख सचिव एनके चंद्रवंशी, एडीजी जेल संजय पिल्ले तथा विधिक सेवा के सचिव सिध्दार्थ अग्रवाल शामिल हुए थे।
    महीनेभर के लिए मिलेगी राहत
    पैरोल और जमानत पर रिहा किए जाने वाले बंदियों और कैदियों को ३० अप्रैल तक के लिए रिहा किया जाएगा। निर्धारित अवधि के बाद उन्हे संबंधित जेल में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। जेल डीआईजी केके गुप्ता ने बताया कि सभी 33 जेलों से सूची मंगवाई गई है। इसकी फाइल मिलते ही विचार किया जाएगा। साथ ही रिहाई योग्य लोगों की सूची राज्य सरकार के पास भेजी जाएगी। इस पर संबंधित कोर्ट का आदेश होते ही उन्हें रवाना किया जाएगा।
    तुरंत आदेश जारी
    जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर ने विचाराधीन बंदियों के जमानत और मुचलका आवेदन तैयार किया। साथ ही जिला कोर्ट में पेश कर 96 बंदियों को रिहाई करवाई। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव उमेश उपाध्याय ने बताया कि रायपुर जिला कोर्ट के अंर्तगत आने वाले तिल्दा, गरियाबंद, राजिम और देवभोग कोर्ट के मामलों को पेश किया गया था। इस दौरान प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ताओं के द्वारा दस्तावेजी खानापूर्ति की गई।

    इस्तेखार अहमद की रिपोर्ट