कोरोना:कैसे 70 घंटे से ज्यादा साइकिल चला के पहुँचा घर क्या हुई दिक्कतें देखे पूरी खबर

कोरोना के चलते देश में लाकडाउन लागू होने पर नागपुर में ईंट भट्ठे परमजदूरी करने गया युवक सत्तर घंटे साइकिल चलाकर घर पहुंचा। रास्ते में खाना नहीं मिला तो सिर्फ पानी पीकर रात-दिन साइकिल चलाता रहा।
भूखा प्यासा घर पहुंचा तो रात उसे बाहर सोकर गुजारनी पड़ी। उसकी आपबीती सुनकर परिजनाें की आंखाें से आंसू छलक उठे। दूसरे दिन चेकअप के बाद वह घर में परिजनाें से मिल सका।
लालगंज कोतवाली के हंडौर पूरे बल्दियान निवासी बबलू सरोज (20) पुत्र लल्लू सरोज महाराष्ट्र के नागपुर में ईंट भठ्ठे पर मजदूरी करने गया था। तभी कोरोना का संक्रमण फैलने लगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को लाकडाउन करने की घोषणा कर दी।
महाराष्ट्र के कई शहरों में पहले से कर्फ्यू लगा दिया गया था। कोरोना के खौफ से बबलू घर आना चाहता था, लेकिन ट्रेन व बस बंद होने से फंस गया। कोरोना से भयभीत होकर वह हर हाल में अपने परिजनाें के पास आना चाहता था। जिसके चलते गाढ़ी कमाई का जो पैसा बचा था, उससे युवक ने किसी से पुरानी साइकिल खरीदकर घर आने का फैसला कर लिया।
मंगलवार को भोर दो बजे वह साइकिल से अपने घर के लिए निकल पड़ा। रास्ते में सारी दुकानें बंद होने के चलते उसे कहीं पर चाय नाश्ता व खाना भी नसीब नही है। वह घर पहुंचने के जुनून में लगातार साइकिल चलाता रहा। भूख लगने उसे जहां कहीं पानी मिलता उसे पीने के बाद थोड़ा आराम करने के बाद फिर साइकिल चलाने लगता।
बबलू लगभग 70 घंटे साइकिल चलाकर गुरुवार की देर रात घर पहुंचा तो परिजन सन्न रह गए। रात दिन लगातार सैकड़ों किलोमीटर साइकिल चलाने के चलते उसके पैर में छाले पड़ गए थे। लेकिन यहां पहुंचने पर उसे घर के बाहर ही रात गुजारनी पड़ी। कोरोना से खौफजदा परिजन उसके पास भी नहीं गए। दूर से कुछ खाना पानी देकर उसे घर के बाहर ही सुला दिया।
शुक्रवार को वह परिजनों के साथ लालगंज सीएचसी पहुंचा और कोरोना की जांच कराई। जांच में कोरोना वायरस का कोई लक्षण नहीं मिलने पर बबलू व उसके परिजनों ने राहत की सांस ली। चिकित्सकाें ने उसे कुछ दिनाें तक घर में रहकर स्वास्थ्य की देखभाल कर निर्देश दिया है।
कोरोना निगेटिव निकलने के बाद बबलू घर पहुंचा और परिजनाें से मिलकर आपबीती सुनाई। उसकी आपबीती सुनकर परिजनों के आंखाें से आंसू छलक उठे। नागपुर से घर पहुंचने पर ग्रामीणाें ने युवक के हौसले की सराहना की है।

इस्तेखार अहमद

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