इतने लम्बे लाॅकडाउन में कोरोना ख़त्म होगा या ग़रीब!

अगले कुछ महीनों में गरीब और ग़रीबी पूरी तरह खत्म हो जायेगी?

भारत देश जिसे आज़ाद कराने के लिए लाखों लोग अपनी जान दे दिए यातनाएं झेली आख़िर मिला क्या मजदूर कल भी पेट भरने के लिए ठोकरे खाता था आज भी कल भी भूखा सोता था और आज भी!!

किसी भी आपदा से निपटने के लिए सबसे बड़ी आपदा हमारे लिए गरीब मजदूर का पेट भरना होता है भारत कोरोना से ज़्यादा भूख से परेशान है इस वक्त दो लड़ाई एक साथ लड़ी जा रही है भूख और कोरोना से आखिर आज़ादी के इतने साल बीत जाने के बाद सरकारें अपनी जनता का पेट ना भर पाई हों तो ऐसे सरकारों को नामर्द कहने में क्या बुराई है हम विश्वगुरू बनने निकले ज़रूर हैं लेकिन सोचो क्या मूलभूत सुविधाएं हैं!!

इस लॉक डाउन में कोरोना से बड़ी जंग ये है कि देश में कोई भूखा ना मर जाये कोरोना ही क्या देश में कोई भी आपदा आ जाये हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या भूख के रूप में आकर खड़ी हो जाती है इतना बड़ा राष्ट्र और समस्या जड़ में मौजूद है जिसका कोई इलाज़ ही नहीं कर पाया!!

ग़रीब , मजदूर, आदिवासी कैसे लड़ेगा करोना जैसी महामारी से किउ नहीं वक्त रहते इनका इंतेज़ाम किया गया?

जनता आज भी जनता के ही भरोसे है आम आदमी खाने पीने की सुविधाएं पहुंचाने की कोसिस कर रहा है तो फिर सरकारें क्या कर रही हैं? आखिर कब तक गरीबी और भूख एक सवाल ही बना रहेगा?

इतने लंम्बे लॉक डाउन में कौन पेट भरेगा ? ये सवाल अभी भी बना हुआ है!
(जावेद खान)

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