प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। पहली बार प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में दो प्रधान सचिव नियुक्त किए गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को नया प्रधान सचिव बनाया गया है, जबकि पी.के. मिश्रा पहले से ही इस पद पर कार्यरत हैं।
क्यों की गई दो प्रधान सचिवों की नियुक्ति?
अब तक प्रधानमंत्री के लिए एक प्रधान सचिव और एक अतिरिक्त प्रधान सचिव की नियुक्ति की परंपरा थी। लेकिन इस बार अतिरिक्त प्रधान सचिव की जगह दो प्रधान सचिवों की तैनाती की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पी.के. मिश्रा की उम्र 76 वर्ष हो चुकी है, और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक अनुभवी अधिकारी की जरूरत थी। ऐसे में 67 वर्षीय शक्तिकांत दास को यह जिम्मेदारी दी गई है।
कौन हैं शक्तिकांत दास?
शक्तिकांत दास एक अनुभवी आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने 1980 बैच में तमिलनाडु कैडर से अपनी सेवाएं शुरू की थीं। वे वित्त मंत्रालय, आर्थिक मामलों और निवेश नीति जैसे महत्वपूर्ण विभागों में कार्य कर चुके हैं। उन्हें दिसंबर 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने छह वर्षों तक कार्य किया। उनके कार्यकाल में भारत ने कोविड-19 महामारी, वैश्विक आर्थिक संकट और मुद्रास्फीति जैसी चुनौतियों का सामना किया।
शक्तिकांत दास की प्रमुख उपलब्धियां
- नोटबंदी (Demonetization) का प्रबंधन: 2016 में जब नोटबंदी लागू हुई, तब दास वित्त मंत्रालय में सचिव थे और उन्होंने इस योजना को लागू करने में अहम भूमिका निभाई।
- GST लागू करने में योगदान: वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को सफलतापूर्वक लागू करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- कोविड-19 के दौरान RBI की भूमिका: महामारी के समय भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उन्होंने कई नीतिगत फैसले लिए, जिससे बाजार में स्थिरता आई।
पी.के. मिश्रा की भूमिका बरकरार
पी.के. मिश्रा, जो 2019 से प्रधान सचिव के पद पर कार्यरत हैं, गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए गुजरात में भी कई अहम पदों पर कार्य किया था।
क्या होगा इस फैसले का असर?
- प्रशासनिक कार्यों में अधिक गति और कुशलता आएगी।
- प्रधानमंत्री के निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर समर्थन मिलेगा।
- आर्थिक नीतियों में अनुभव का लाभ उठाया जाएगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय में दो प्रधान सचिवों की नियुक्ति का यह निर्णय भारतीय प्रशासनिक प्रणाली में एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है। शक्तिकांत दास के पास वित्तीय मामलों का गहरा अनुभव है, जिससे सरकार को नीति-निर्माण में लाभ मिलेगा।
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