जिला पंचायत सदस्यों ने बंद किए अपने मोबाइल फोन,सभी दलों की बढ़ी टेंशन,देखे कौन होगा प्रतापगढ़ का अध्यक्ष

प्रतापगढ़. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष की बिसात पूरी तरह बिछ चुकी है। बस वोटिंग के लिए कुछ दिन ही शेष हैं जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे है, लेकिन इसी बीच सभी प्रत्याशियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गयी है, क्योंकि डेढ़ दर्जन जिला पंचायत सदस्यों से जिला पंचायत अध्यक्ष के घोषित प्रत्याशियों का संपर्क नहीं हो पा रहा है।यही नहीं, कई जिला पंचायत सदस्य के मोबाइल फोन भी ऑफ हो गए हैं। इस बार समाजवादी पार्टी से यादव,भाजपा से वहीं राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से माधुरी पटेल मैदान में हैं।

बहरहाल, चर्चा है कि रानीगंज,पट्टी,सड़वा चन्द्रिकन के कई सदस्य प्रत्याशियों से मुलाकात नहीं कर रहे हैं और अपना मोबाइल फोन भी बंद कर रखा है. बता दें कि प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा से दो प्रत्याशी क्षमा और पूनम इंसान ने नामांकन दाखिल किया है. जबकि सपा से अमरावती और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक से माधुरी पटेल भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रही हैं. जनसत्ता दल के सर्वसर्वा बाहुबली विधायक राजा भैया हैं. वहीं, जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव को लेकर सियासत पूरी तरह गर्म हो गयी है. सपा,जनसत्ता, भाजपा,जोड़तोड़ की राजनीति में जुट गए है,क्योंकि किसी भी दल के पास अध्‍यक्ष बनाने के लिए बहुमत नहीं है, इसलिए सभी दल के निर्दल जीते हुए प्रत्याशी को अपने पाले में लाने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं. अगर आंकडों पर गौर करें तो प्रतापगढ़ में अखिलेश यादव की सपा के पास सबसे अधिक 17 सीटें है. जबकि राजा भैया के जनसत्ता दल के पास 12 सीटें हैं. वहीं, भाजपा के पास 7, तो कांग्रेस के पास 5 सीट हैं. इसके अलावा निर्दल जिला पंचायत सदस्यों ने 14 सीटें पर जीत का परचम लहराया है. साफ है कि सत्ता की चाभी इन्हीं निर्दल सदस्यों के पास है. हालां कि खबर ये भी है कि कांग्रेस ने राजा भैया के साथ गठजोड़ कर लिया है. दरसअल राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रत्याशी के नामांकन के दौरान रामपुर खास की विधायक व विधान मंडल कांग्रेस दल की नेता आराधना मिश्र उर्फ मोना के प्रतिनिधि भगवती प्रसाद तिवारी भी मौजूद थे.

अगर पिछले पांच जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के आंकड़े पर गौर करें तो चार बार राजा भैया समर्थकों का कब्जा रहा है. सिर्फ एक बार उनके समर्थक को हार का सामना करना पड़ा था. इस बार भी राजा भैया समर्थित प्रत्याशियों का दबदबा देखने को मिल रहा है, लेकिन भाजपा के चुनाव लड़ने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

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