उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़-में पुलिस मुठभेड़ में हुई तौफीक की मौत का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है
मृतक तौफीक की पत्नी आलिया खान ने जनपद प्रतापगढ़ की सीजेएम कोर्ट में दाखिल किया वाद,
156(3) के तहत दोषी पुलिस कर्मियों पर हत्या का केस दर्ज करने की न्यायलय से की मांग,
अधिवक्ता अभिषेक तिवारी की तरफ से बीते मंगलवार को सीजेएम न्यायलय में एफआईआर दर्ज करने के लिए दिया गया है प्रार्थना पत्र,
16 अक्टूबर को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था आरोपी तौफीक, लालगंज कोतवाली के बाबूतारा गांव का रहने वाला था तौफीक वही का है मामला,
आपको बतादें की जनपद प्रतापगढ़ की लालगंज कोतवाली के सगरासुंदरपुर बाबूतारा गांव के निवासी बदमाश तौफीक उर्फ बब्बू को बीते अक्टूबर की तारीख 16 दिन शनिवार की रात संदिग्ध परिस्थितियों में पुलिस की गोली लग गई। बाद में पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ के दौरान तौफीक को गोली लगी है। उधर, रविवार की रात उपचार के दौरान लखनऊ में उसकी मौत हो गई थी पुलिस की गोली से मौत होने की जानकारी पर हड़कंप मच गया। गांव में तनाव को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था
सोमवार की शाम छह बजे पुलिस की कड़ी सुरक्षा में तौफीक का शव गांव लाया गया। शव गांव पहुंचते ही लोग आक्रोशित हो उठे और परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया। परिजनों का कहना था कि स्वॉट टीम ने सुनियोजित तरीके से तौफीक की हत्या की और बाद में उसे मुठभेड़ दिखाने का प्रयास किया। परिजनों ने पुलिस-प्रशासन के सामने मांग रख दी कि जब तक दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं होता और मृतक की पत्नी को नौकरी व पचास लाख की आर्थिक सहायता नहीं मिलती तब तक तौफीक के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
ASP, SDM , CO समेत अन्य अफसरों ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन घरवाले किसी की बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे। कोई रास्ता न निकलते देख पुलिस ने तौफीक की पत्नी की तहरीर जीडी पर दर्ज कर परिजनों को कापी उपलब्ध कराते हुए विवेचना के दौरान तथ्यों के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया। नौकरी व आर्थिक सहायता के लिए अफसरों को पत्रावली भेजने का आश्वासन दिया। इस पर करीब बीस घंटे बाद शव का अंतिम संस्कार करने के लिए घरवाले तैयार हुए। देर शाम अंतिम संस्कार होने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।
पुलिस व ग्रामीणों में कई बार हुई नोकझोंक
बाबूतारा में घर के बाहर शव रखकर विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों की पुलिस अफसरों से कई बार नोकझोंक हुई। शव का अंतिम संस्कार करने के लिए सीओ सिटी अभय पांडेय से लेकर कई थाना प्रभारी परिजनों को बार-बार समझाने आ रहे थे। इस बीच ग्रामीण बीच में बोलने लगे तो पुलिस ने सिर्फ परिजनों से बोलने को कहा। इसको लेकर कई बार ग्रामीणों व पुलिस के बीच नोकझोंक हुई। पुलिस जैसे ही शव दफनाने के लिए परिजनों से बात करने जाती कि ग्रामीण नोकझोंक करने लगते। लंबी जद्दोजहद व प्रशासनिक अधिकारियों को समझाने के बाद आखिरकार 18 अक्टूबर को हुआ अंतिम संस्कार
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