लाॅकडाउन बिना प्लानिंग के: रवीश कुमार

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दिल्ली से बिहार, तेलंगाना से राजस्थान, अहमदाबाद से जोधपुर, दिल्ली से अलीगढ़ मज़दूर पैदल चलते चले जा रहे हैं। कुछ जगहों पर प्रशासन ने मदद की लेकिन वह काफ़ी नहीं है। राज्यों के भीतर भी मज़दूर पैदल चल रहे हैं। छोटे शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं है। इस कारण ज़रूरी काम से जुड़े लोग भी पैदल चल रहे हैं। चलना कार वालों को चाहिए था ताकि उनकी सेहत ठीक होती।

गुजरात में सूरत बंद हुआ तो उसकी सड़कों पर पैदल चलने वाले मज़दूर आ गए। छोटे छोटे बच्चे को गोद में उठाए चले जा रहे हैं। सूरत से भावनगर चार सौ किमी दूर है। कइयों ने साढ़े पाँच सौ किमी दूरी तय की है। बड़ी संख्या में लोग चल रहे हैं। अब उन्हें लोगों ने खाना वग़ैरह देना शुरू किया है।

ढाई महीने का वक्त था। लॉक डाउन की ठीक से प्लानिंग हो सकती थी। लोगों को बैच में निकाला जा सकता था। सोचा नहीं गया।

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